रविवार, ७ एप्रिल, २०१३

"PANCHSHIL"

                                        

                                       

                               PANATI  PATA VERMNI-SIKHAPADN SAMADYAMI !!1!!
                               ADINNDANA  VERMANI-SIKHAPADN SAMDYAMI !!2!!
                              KAMESUMECHHACHARA VERMANI- SIKHAPADN SAMADYAMI!!3!!
                              MUSAVADA VERMANI-SIKHAPADN SAMADYAMI !!4!!
                              SURA-MERY-MAGG-PAMADTTANA! VERMANI-SIKHAPADN          
                              SAMDYAMI!!5!!   

२ टिप्पण्या:

  1. बुध्द कहते है मेरे पाथ के अनुसार अच्छे जीवन आदर्श के पाच मान्य मापदंड है -
    १) किसी को हताहत न करना
    २) चोरी न करना अर्थात दुसरों की चीजे अपनी न बनाना !
    ३) व्याविचार न करना !
    ४) झूठ न बोलना !
    ५) नशीली वस्तुओ का सेवन व प्रमाद न करना !
    हर आदमी के लिये इन पांच शिलों (कर्म) का स्वीकार करना परमावश्कक है क्यो कि हर आदमी के लिए जीवन का कोई ना कोई मापदंड होना चाहिए,जीससे वह अपने कर्म (अच्छाई या बुराई) को माप सके ! और उपर बताये गये पाच तत्व (कर्म) अच्छाई या बुराई के मापदंड ही तो है !
    संसार में हर जगह पतित (गिरे हुए) लोग होते है ! ये पतित दो प्रकार के होते है ! १.) वे लोग जिनके जीवन का कोई मापदंड ही नाही होता, इसलिये वे जीवनभर पतित ही राहते है ! २.) दुसरे वे लोग जिनका जीवन का कोई मापदंड तो होता है, वे जानते है अच्छे या बुरे कर्मो कापरिणाम क्या हो सकता है, इस लिये वे अपनी पतित अवस्था से उपर उठने का प्रयास कर सकते है ! —

    उत्तर द्याहटवा